सनातन धर्म के अंतर्गत ही बौद्ध सम्प्रदाय की स्थापना करने वाले महात्मा बुद्ध की जयंती #बुद्धपुर्णिमा की ढेरों शुभकामनाएं
आजकल भगवान गौतम बुद्ध के तथाकथित अनुयायीओ अर्थात नवबौद्धों और उसमें भी खासकर भीमटो ने हिन्दू धर्म पर अनर्गल टिप्पणी करने हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करने, ब्राह्मणों, क्षत्रियो, वैश्यों को गाली देने को ही बुद्धिजम समझ लिया है । इन भीमंटो तथा कुछ दलित नेताओ ने दलितों को हिन्दुओ से अलग करके उन्हें भड़काकर राजनीति की रोटियां सेंकनी शुरू कर दिया है । बुद्ध के नाम पर नवबौद्ध आजकल हिन्दू समाज में नफरत और घृणा फैला रहे है ।
समस्या क्या बुद्ध को मानने से मतलब है चाहे विष्णु का अवतार मान ले या महात्मा मान ले या इंसान ही मान ले, और बुद्ध को आये हुए दुनिया में मात्र 2500 वर्ष हुए है । क्या उसके पहले इनके बाप दादाओं का धर्म नही था वे लोग अधर्मी थे? और कैसे यह मान ले की बौद्ध कोई धर्म है जब स्वयं बुद्ध ने स्वयं को सनातनी कहा है। "ऐसो धम्मो स्नातनो" तो अलग धर्म बना कर कब्जा तो नवबौद्धों ने किया है बुद्ध पर न की ब्राह्मणों ने, यह दो कौड़ी की स्टोरी अब नही चलेगी समाज में। लोगो को बेवकूफ बनाना बंद करिये आप लोग। बौद्धिजम और जैनिज़्म सनातन धर्म ही है बुद्ध और महावीर इस धर्म के शुद्धि करता थे। इनको अलग मानकर इनके नाम पर जिन्होंने दूकान चलाई धूर्त वो है और ठग है।
ब्राह्मण वाद की नौटंकी रचनेवाले नावभोदुवे मुझे इतना बता दे की समस्त बौद्ध और जैन साहित्यों के रचनाकार कौन है? क्योंकी बौद्ध तो धम्म है अर्थात सिद्धान्त पथ न की कोई धर्म बुद्ध का धम्म सनातन था ऐसा उन्होंने स्वयं कहा है। तो क्या आज कल के ये नवभोदुवे बुद्ध से ज्यादा होशियार हो गए है ?
समस्त बौद्ध साहित्यों के रचनाकार और बौद्ध मत में विभिन्न पथो यथा महायान हीनयान बज्रयान आदि के प्रवर्तक ब्राह्मण ही है। बुद्ध के प्रिय शिष्य अग्निमित्र ब्राह्मण, बुद्ध के प्रथम 4 शिष्य ब्राह्मण, बुद्ध के विहारों के लिए सर्वाधिक भूमि का दान करने वाले ब्राह्मण , बुद्ध की प्रमुख संगतियों के आयोजक ब्राह्मण। बुद्ध के ज्ञान देशना का सम्हालकर रखने वाले ब्राह्मण । फिर भी इन नावभोदुओ को कीड़ी कटती है ब्राह्मणो के नाम पर, अरे ब्राह्मण बुरा है क्यों मानते हो की कोई बुद्ध भी है। क्योंकी बुद्ध के सम्बन्ध में ज्ञान और समस्त ग्रन्थ तो ब्राह्मणो ने लिखा है। उनके मत को विभिन्न सम्प्रदायो के साथ समाज में प्रचारित ब्राह्मणों ने ही किया। इस लिए बौद्ध धम्म कैसे सही हो गया अगर ब्राह्मण गलत है तो। किसी की उपेक्षा इस बात से नही हो सकती की वह अमुक जाती है और यार आप लोगो का फर्जीपन तो इसी बात से झलक जाता है जब आप लोग जातिगत बकवास करते है। जबकि बुद्ध ने जाती से ऊपर उठ कर मानवता की बात की तो ढोंगी कौन है आप या ब्राह्मण? अगर ब्राह्मण जातिवाद करता है तो आप क्या करते हो ??
बनेंगे बौद्ध और दिन भर जाती जाती ब्राह्मण ब्राह्मण यह ढोंगिज्म हो सकता है बौद्धिजम किसी सूरत में नही कहा जा सकता।
बुद्ध पूर्णिमा की ढेरों बधाई एवं शुभकामनाएं !
अजय कुमार दूबे
No comments:
Post a Comment