भगवत् कृपा हि केवलम् !

भगवत् कृपा हि केवलम् !

Thursday 3 March 2011

कुटिल कणिक दिग्विजय सिंह

महाभारत कालीन हस्तिनापुर में महाराज धृतराष्ट्र का एक सचिव था, जिसका नाम था कणिक। उसकी विशेषता यह थी कि वह कुटिल नीतियों का जानकार था और धृतराष्ट्र को पांचों पांडवों के विनाश के लिए नित नए-नए तरकीब सुझाया करता था। महाराज ने उसे इसीलिए नियुक्त भी कर रखा था। इसके सिवाय उसकी और कोई विशेषता नहीं थी, जो राज-काज के संचालन में धृतराष्ट्र के लिए उपयोगी हो।महाराज ने उसका वेतन और भत्ता भी ज्यादा तय कर रखा था। इसके अलावा उसकी सारी सुविधाएं उसके समकक्ष सभी राज-कर्मचारियों से ज्यादा थी। धृतराष्ट्र ने उसको हर प्रकार से छूट दे रखी थी। यानी उसके केवल सात खून ही नहीं; बल्कि सारे खून माफ थे। वह जो कुछ भी करता, धृतराष्ट्र उसकी खूब तारीफ करते थे।

 
अन्ततः उसको मिली सारी विशेष सुविधाएं व्यर्थ ही साबित हुईं। क्योंकि उसकी एक भी तरकीब पांडवों के विनाश के लिए काम न आ सकी। कणिक ने ही पाण्डवों को मारने के लिए वारणावत नगर में लाक्षागृह के निर्माण का सुझाव दिया था। जब उसके इस सुझाव का पता दुर्बुद्धि दुर्योधन, कर्ण और दुःशासन; आदि को लगा, तो उन लोगों ने इस सुझाव को जल्द ही अमल में लाने के लिए मामा शकुनि के माध्यम से धृतराष्ट्र को मनाने के प्रयास शुरु कर दिए थे। हालांकि उस धधकते लाक्षागृह से माता कुंती सहित पांचों पाण्डव सकुशल निकलने में सफल हुए।

खैर! जो हुआ सो हुआ। अन्ततः पाण्डवों को मारने की सारी तरकीब असफल साबित हुई। इसके बाद क्या हुआ यह सभी जानते ही हैं। महाभारत युद्ध में कौरवों का विनाश हो गया। यानी धर्म व सुव्यवस्था की विजय हुई और अधर्म व कुव्यवस्था का नाश हुआ। अर्थात- दूसरों का अहित चाहने वालों का विनाश हुआ। यही है महाभारत की कथा।वारणावत नगर का लाक्षागृह कांड कुरु कुटुम्ब का वह जीता-जागता षड्यंत्र था जो अनेक क्रूरतम राज-षड्यंत्रों की सारी सीमाएं पार कर चुका था। वह कोई सामान्य घटना नहीं थी। मानवीयता की भी सारी सीमाएं पार कर देने वाली घटना थी। यह सारा षड्यंत्र हस्तिनापुर की सत्ता को दीर्घकाल तक हथियाए रखने के लिए चलाया जा रहा था।

हालांकि वर्तमान भारतीय संदर्भ में कणिक की चर्चा करने का मेरा औचित्य केवल कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की तुलना करना भर ही है। इसके लिए मेरे पास कणिक के सिवाय और कोई उदाहरण नहीं है जो दिग्विजय सिंह पर सटीक बैठे। कणिक और दिग्विजय में कई मामलों में काफी समानता है। उनकी हर गलत बयानी को कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी माफ कर देती हैं। उनको कुछ भी बोलने की पूरी छूट है। वह सबसे ऊपर हैं। कांग्रेस में सोनिया-राहुल को छोड़कर एक वही ऐसी शख्सियत हैं जिन पर पार्टी अनुसाशन का डंडा काम नहीं करता। पार्टी में उनके खिलाफ कोई शख्स बोलने की हिमाकत भी नहीं कर सकता। क्योंकि वह पार्टी सुप्रीमो के काफी खासम खास हैं। अतः उनके खिलाफ बोलकर कोई अपने कमीज की बखिया क्यों उधड़वाए ? 

इस देश में जितने भी विवादित विषय हैं, उन सभी विषयों पर दिग्विजय अपने ‘कणिकवत कुटिल विचार’ प्रकट कर चुके हैं। इसके अलावा भी वह नित नए-नए विवादित विषयों की खोज-बीन में लगे रहते हैं। और उन विषयों पर बोल-बोलकर अपनी भद्द पिटवाते रहते हैं। 

अभी हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के अरुणाचल पूर्वी संसदीय सीट से कांग्रेसी सांसद निनोंग एरिंग ने योग गुरु स्वामी रामदेव को ब्लडी इंडियन तक कह डाला था। योग गुरु की गलती मात्र यही थी कि वह राज्य के पासीघाट में आयोजित योग शिविर में जुटे प्रशिक्षणार्थियों को भ्रष्टाचारी कांग्रेस के काले कारनामे का बड़े ही मनोहारी ढंग से वर्णन कर रहे थे। ठीक उसी वक्त सांसद महोदय आ धमके और उन्होंने योग गुरु के साथ जमकर गाली-गलौज की। स्वामी रामदेव के सहायक ने बताया- सांसद ने असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करते हुए बाबा से कहा कि वह राज्य में चला रही भ्रष्टाचार विरोधी अपनी मुहिम बंद कर दें, वरना नतीजा अच्छा नहीं होगा। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि कांग्रेस आलाकमान ने उस सांसद के खिलाफ कोई कार्रवाई तक करना उचित नहीं समझा।

विवादित विषय हो तो भला दिग्विजय सिंह कैसे चुप रहें। अतः उन्होंने इस विवाद की बहती नदी में हाथ धोना शुरु कर दिया। उन्होंने योग गुरु से सवाल किया कि भ्रष्टाचार की बातें करने वाले रामदेव को अपनी सम्पत्ति का हिसाब देना चाहिए। ध्यातव्य है कि स्वामी रामदेव पिछले कई महीनों से भ्रष्टाचार के खिलाफ देश भर में जनजागरण अभियान चला रहे हैं। अपने इसी अभियान के तहत योग गुरु अरुणाचल में थे।

दिग्विजय के रवैये से ऐसा लगता है कि उन्होंने हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों, साधु-संतों और देशभक्तों को बदनाम करने का ठेका ले रखा है। यहां तक कि वे दिल्ली के बाटला हाउस मुठभेड़ में आतंकियों की गोली से शहीद मोहन चन्द शर्मा जैसे बहादुर सिपाही की शहादत पर भी प्रश्चचिन्ह उठाने से बाज नहीं आए। वह आजमगढ़ जिले के संजरपुर में आतंकी गतिविधियों में संलिप्त लोगों के घर जा कर उन्हें प्रोत्साहित करने से भी नहीं चूके। यही नहीं उन्होंने 26/11 मुम्बई हमलों में शहीद महाराष्ट्र के तत्कालीन एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे की शहादत पर भी प्रश्नचिन्ह उठाने की कोशिश की थी। लेकिन स्वर्गीय करकरे की विधवा श्रीमती कविता करकरे ने दिग्विजय की जमकर खिंचाई की थी।

वैसे दिग्विजय के संदर्भ में इस बात की भी खूब चर्चा चलती है कि मुस्लिम मतों को बटोरने के लिए सोनिया गांधी ने उनको मुक्त-हस्त कर दिया है। दिग्विजय भी सोनिया के इस सम्मान का बदला अपने क्षत्रिय मर्यादा की कीमत पर चुकाने के लिए आमादा दिखते हैं। यहां तक कि वह अपनी सारी लोकतांत्रिक मान-मर्यादाएं भी भूल चुके हैं। जो मन में आया वही आंख मूदकर बोल देते हैं। मीडिया भी उनके बयान को खूब तरजीह देता है। यदि उनका यही रवैया रहा तो वह दिन दूर नहीं जब जनता उनको एक स्वर से मानसिक दिवालिया घोषित कर देगी।

आप क्या कहते है ??

35 comments:

अजय कुमार दूबे said...

दिग्विजय सिंह के बारे में आप लोग क्या कहेंगे ? आपके विचार आमंत्रित है

Anonymous said...

अब तो कुत्ते भी छुप-छुप के घूम रहे हैं ग़ालिब, कहीं कोई दिग्विजय समझ कर जूता न मार दे..

संतोष शर्मा said...

दिग्विजय सिंह असंतुलित हो गया है. क्योकि मध्य प्रदेश के लोगो ने उसे लात दे कर राज्य से बाहर कर दिया है. कभी वो देश के शहीदो को गद्दार बोलता है तो काभी आदरणीय राम देव जी पर आरोप लगता है.

संतोष शर्मा said...

दिग्विजय सिंह की अपनी कोई राजनीतिक हैसियत नहीं रही. आब वो सोनिया गाँधी के सेवक की भूमिका अदा कर रहे है. जी हुजूरी करते करते दुनिया से निकल लेंगे. दिग्विजय सिंह के पास अब कोई काम तो है नहीं खाली दिमाग़ साइटान का. न्यूज़ मे बने रहने के लिए कुछ उल जलूल बोलना है सो बोल दिया. न्यूज़ मे आ गये. सोनिया गाँधी की वंदना कर लिया और दिन काट जाता है.

Narendra said...

वाह जी वाह, अब डाकू लोग जो हैं वो भी ईमानदारी का हिसाब माँग रहे हैं. मैं यह दावे के साथ कह सकता हूँ कि श्रीमान दिग्विजय सिंह खुद तो पूरे मध्य प्रदेश को लूट खसोट कर कंगाल कर दिया और अब चले हिसाब माँगने.....इसी को कहतें हैं कि सौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली. यह आदमी देश के लिए ख़तनाक है.....

संतोष शर्मा said...

दिग्विजय सिंह को कांग्रेस ने कुत्ता बना दिया है | जब भी कोई बात होती है वो भौ भौ करने लगता है |

Narendra said...

दरअसल दिग्विजय का काम ही है जब कांग्रेस फसे तो भोकने लगो वेसे भी मध्य प्रदेश की जनता ने उनको राज्य की राजनीति से कब का गायब कर दिया है अब उनको देश की राजनीति से गायब करना है |

Narendra said...

दिग्विजय भंग खाए हुए बंदर की तरह बोलता है !

संतोष शर्मा said...

दिग्विजय ऐसा ग़लत नेता है जो हमेशा ग़लत जगह निशाना लगता है ये निशाना उसने कांग्रेस के नेताओं पर लगाना था , लेकिन वह हमेशा हिंदुओं पर ही निशाना लगता है उसको भ्रष्ट कॉंग्रेसी नेता नज़र नही आ रहे है जो देश को खोखला कर रहे है |

Narendra said...

खबरदार दिग्विजय! याद रखना वी पी सिंह को, इससे भी बुरी दुर्दशा तुम्हारी होने वाली है. अपनी शक्ल ध्यान से शीशे मे देखो,कितना चिड़चिड़ा और खुजली वाला हो चुका है.

Anonymous said...

दिग्गी देशद्रोही है दिग्गी चोर है

Deepak Saini said...

दिग्विजय सोनिया गाँधी के सेवक है.

प्रतुल वशिष्ठ said...

.

अजय जी, आपने जिन धूर्त लोगों के लिये महाभारत कथाओं से उपमान खोजने में श्रम किया.. सटीक प्रयास है और आपकी तुलनात्मक दृष्टि से परिचय भी हो गया है.
मुझे लगता है भविष्य में 'धूर्तता' के नये उपमान खोजने के लिये कांग्रेस शब्दकोश (पार्टी) से काफी मदद मिलेगी.

.

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
अजय कुमार दूबे said...

प्रतुल जी श्रम तो अच्छाई खोजने में लगता है , धूर्तो की पहचान तो आराम से हो जाती है अगर इंसान इमानदारी से देखे

बहुत धन्यवाद

Unknown said...

nice compression

Anonymous said...

हा ये कणिक ही है ...... १० जनपथ का पालतू कुत्ता

Anonymous said...

bahut kameena hai diggi

ANIL KUMAR MISHRA said...

apka lekh bahut achha tha digvijay sing vastaw me bahut hi kutil aadmi hai jo khud to dubega hi apne saath kangress ko bhi le dubega waise amaryadit aadmi ko deshdrohi ghoshit kar dena chahiye.

dhanyawad..........

Unknown said...

दिग्विजय सिंह के नामकरण के लिए धन्यबाद सटीक नाम है इनके लिए ..

प्रीती मिश्रा said...

जी हा अब वो दिन दूर नहीं की ये मानसिक दिवालिया घोषित कर दिए जाये

Unknown said...

मध्य प्रदेश से छुट्टी पाए दिग्विजय जी के पास और कोई रास्ता ही नहीं है

प्रीती मिश्रा said...

दिग्विजय सुधरने वाले इन्सान नहीं है

Anonymous said...

awara kutta hai digvijay

Anonymous said...

सोनिया का दास ..है

पार्थ रावत said...

अजय जी

भाई साहब बेचारे को और कितनी गाली खिलाना चाहते है .....अब ये सुधरने वाला नहीं लगता है

ईश्वर इसको सदबुद्धि दे मै तो यही कह सकता हु

धन्यबाद

पार्थ रावत said...

हिन्दू के नाम पे कलंक है ये

Anonymous said...

ha ha ha ha ha ha

सपना सिंह said...

दिग्विजय के संदर्भ में इस बात की भी खूब चर्चा चलती है कि मुस्लिम मतों को बटोरने के लिए सोनिया गांधी ने उनको मुक्त-हस्त कर दिया है। दिग्विजय भी सोनिया के इस सम्मान का बदला अपने क्षत्रिय मर्यादा की कीमत पर चुकाने के लिए आमादा दिखते हैं। यहां तक कि वह अपनी सारी लोकतांत्रिक मान-मर्यादाएं भी भूल चुके हैं।

सपना सिंह said...

अजय जी अच्छा तरीका था दिग्विजय के कोर्ट मार्शल का

धन्यबाद

विशाल said...

दिग्गी राजा क्या हैं,सब जानते हैं.
भौंकने दीजिये न.
सलाम.

Amit Sharma said...

आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं । ठाकुरजी श्रीराधामुकुंदबिहारी आप सभी के जीवन में अपनी कृपा का रंग हमेशा बरसाते रहें।

Anonymous said...

chutiya aadmi h,pata nhu kya kya bolta rehta hai

Anonymous said...

aapko bhi badhai holi ki

Anonymous said...

good writing

thanx