कल विश्व पुस्तक मेले में फ़िल्मकार श्री #VivekAgnihotri जी से मुलाकात हुई ... अवसर था उनकी आने वाली पुस्तक #UrbanNaxals के मुख्यपृष्ठ के अनावरण का ... शहरी नक्सलियो पर आधारित यह बुक इसी वर्ष मार्च में उपलब्ध हो जाएगी । एक साहसी फ़िल्मकार के तौर पर विवेक अग्निहोत्री ने पहले ही नक्सलियो के स्लीपर सेल अर्थात शहरी नक्सलियो की सच्चाई अपनी बहुचर्चित फिल्म #BuddhaInTrafficJam के जरिये उजागर कर चुके है ... अब उनकी आने वाली यह अगामी पुस्तक का उद्देश्य शहरो में बैठे नक्सलियो जो मिडिया, उच्च शिक्षण संस्थानों, नौकरशाही, राजनीति और यहाँ तक की न्यायपालिका में भी बैठे है के छुपे हुए एजेंडे को उजागर करना है । विवेक जी जैसे साहसी और राष्ट्रप्रथम के लक्ष्य को लेकर आगे चलने वाले व्यक्ति को हम सभी का भरपूर समर्थन मिलना चाहिए ... विवेक जी से हुई संक्षिप्त वार्ता में जब मैंने उनके द्वारा जिग्नेश मेवाणी को ओपेन डिबेट के लिए चुनौती देने पर पूछा तो वो बोले की "जिग्नेश जैसे नक्सलीयो की पोल खोलना ही तो उनका मकसद है मै तो चाहता था की वो मुझसे खुली बहस करे और मुझे बताये की उसको इस आज़ाद भारत में अब आज़ादी किस चीज़ से चाहिए लेकिन उसके में इतनी हिम्मत भी नही की वो मेरे जैसो का सामना कर सके"
विवेक जी से जब मैंने कहा की आपकी फिल्म 'बुद्धा इन ट्रेफिक जाम' ने लोगो को अपने ही बीच रहने वाले नक्सलियों के स्लीपर सेल से सावधान रहने की नसीहत मिलती है तो ऐसे में एक जिम्मेदार व्यक्ति के तौर पर वे आगे क्या करेंगे ? चलते चलते विवेक जी ने कहा "आगामी बुक इसी का विस्तार है...और एक फिल्म मेकर के रूप में आगे मै पूर्व प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री जी के ताशकंद में हुए रहस्यमय हत्या के विषय पर फिल्म बनाने जा रहा हूँ ... इस फिल्म के जरिये शास्त्री जी के हत्या के रहस्यों को उजागर करने की छोटी सी कोशिश करूँगा "
विवेक अग्निहोत्री जी को उनके अगामी फिल्मो और उनकी आने वाली इस "Urban Naxals" किताब के सफल होने की ढेरों शुभकामनायें :)
अजय कुमार दूबे
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