भगवत् कृपा हि केवलम् !

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Thursday, 10 February 2011

संकल्प का विकल्प ...??

कहा तो यही जाता है कि इंसान अगर संकल्प साध ले तो कुछ भी कर सकता है। पर दिक्कत यह है कि संकल्प साधना इतना आसान नहीं होता। खासकर जब मामला सिगरेट जैसी किसी लत को छोड़ने का हो।
हमारे एक दोस्त सिगरेट छोड़ने के मामले में खुद को काफी अनुभवी मानते है, क्योंकि वे सिगरेट पीना कई बार छोड़ देने का अनुभव प्राप्त कर चुके है। आपको अपने आस पास ऐसे अनुभवी लोग काफी तादाद में मिल जाएंगे। पर ऐसे लोग काफी कम मिलेंगे जिन्होंने सिगरेट पीने की आदत सचमुच में हमेशा के लिए छोड़ दी। हालाँकि आज ही पेपर में पढ़ा की ओबामा ने सिगरेट पीना छोड़ दिया है , और उनके कुछ सलाहकार भी इस राह पर है। ओबामा ने एक साल पहले सिगरेट छोड़ने का संकल्प लिया था, और अब वे कामयाब है। खैर जो संकल्प नहीं साध पाते अब उनके लिए भी एक अच्छी खबर है कि वे टीका लगवाएं और साल भर के लिए नशे से मुक्त हो जाएं।
लेकिन इस टीके को क्या माना जाए? विज्ञान की उपलब्धि या संकल्प का विकल्प? यह ठीक है कि इससे हम कैंसर के खिलाफ जंग में एक बड़ी जीत हासिल कर सकते हैं। इसकी खबरों में आंकड़े भी दिए गए हैं कि हर साल कितने लाख लोग कैंसर की वजह से जान से हाथ धो बैठते हैं। इस लिहाज से यह मानवता की एक बड़ी कामयाबी भी है, जो दरअसल करोड़ों लोगों की निजी नाकामी को ढंकने का काम भी करेगी।वैसे यह मामला सिर्फ सिगरेट या तंबाकू की लत का नहीं है। ओवरवेट हो गए लोगों का संकल्प भी जब चुक जाता है तो वे ऐसी दवाएं तलाशते दिखाई देते हैं जो बिना कसरत और खान पान की आदतें बदले हीं उन्हें हल्का बना दें। हो सकता है कि कल को ऐसी दवा बन भी जाए।
ऐसा हुआ तो विज्ञान एक बार फिर जीत जाएगा, पर संकल्प एक बार फिर हार जाएगा।

वैसे अभी हम यह नहीं जानते कि संकल्प के इस तरह बार बार हार जाने का नतीजा आखिर में बुरा ही होगा या उसमें भी अच्छाई के कुछ रास्ते निकलेंगे।

आप क्या सोचते है ? अजय