tag:blogger.com,1999:blog-5736599664595725887.post1134454198074723189..comments2023-09-15T15:04:01.967+05:30Comments on अनुभूति रस !: संस्कृति में है : ....भारत की एकता का आधारअजय कुमार दूबेhttp://www.blogger.com/profile/14279076042479885625noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-5736599664595725887.post-77905476482986601302012-04-16T14:49:57.371+05:302012-04-16T14:49:57.371+05:30लोग ब्रह्मण को हिन्दू धर्म का अगुआ मानते है ... और...लोग ब्रह्मण को हिन्दू धर्म का अगुआ मानते है ... और ये सच भी है ...... ये आप ने कैसे निश्चित कर दिया अजय जी कृपया मुझे इसका अधर बता सकते हैं ?<br />मुझे नहीं पता आप धर्मनिरपेक्ष का क्या मतलब समझते हैं ! और जहाँ तक कौशलेन्द्र जी की बात हैं तो उनकी बातो में तो जातीवाद दीखता है ! और यदि आप जातीवाद को नकारते हैं तो मैं आप की मानसिकता को समझ नहीं पा रहा !<br /> आप ने कहा - मांसाहार का सेवन करना और मधपान करना, वेश्यावृत्ति आदि ब्राह्मणों में बढ़ रही है क्या बुराइयाँ हैं और अगर आप ऐसा मानते है तो भारत देश के न जाने कितने % लोग इस बुराई से जकड़े हुए हैं मेरी सोच से उन सबको इनसे उबारना चाहिए !!!!!!!!भारत ही क्यूँ दोनिया की अधिकतम देश इस बुराई से जकड़े हुए हैं!- और मैं सोचता हूँ की यदि मांसाहारी न हो तो वातावरण का संतुलन बिगड़ जायेगा! मै किसी काम की अति को बुरारी मानता हूँ !<br /> जहाँ तक मधपान की बात है तो ये कोई बुराई नहीं हैं हमारे देवता गर्ण भी सोम रस का सेवन किया करते थे परन्तु हम मानव हैं इसलिए हमें अति से बचना चाहिए और आप तो जानते ही हैं की हमारे देश में एक बड़ें तबके में प्रतिष्ठा - प्रतीक के रूप प्रकट हुआ है !<br /> और जहाँ तक बात वेश्यावृत्ति की हैं तो ये दुनिया के बहुत से देशो में इसे सरकारी की अनुमति हैं ! और मेरा भी मानना है की इससे देश में अपराध (रेप) कम होता हैं!<br />मेरा मानना हैं की वेश्यावृत्ति को ख़तम करना चाहिए ना कि ब्रह्मण को वहां जाने से रोकना चाहिए !!!!!!!!!<br />अजय जी आप को पहले तो सनातन धर्म की कुरितियो को देखना होगा क्यूँ कि जब आप को बुराइयाँ का पता होगा तभी आप उसकी अच्छाई को बता सकते हैं वैसे भी अच्छाई और बुराई तुलनात्मक गुर हैं!<br />मै आप से एक सवाल करना चाहता हूँ यदि एक आदमी पुरे दिन रिक्सा चलता है या खेत में काम करता है और वह रात में अल्कोहोल (शराब ) पिता है और सो जाता है और एक दूसरा आदमी पुरे दिन दुसरो से पैसा चिंता है और रात में शराब पी कर पड़ोसियों को गलियां देता हैं तो अजय जी आप कि नगर में कौन अच्छा हैं और कौन बुरा ?चन्द्र प्रकाश शर्माnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5736599664595725887.post-75907467681033968862012-03-16T13:32:14.759+05:302012-03-16T13:32:14.759+05:30अशोक जी आपकी ये बात मानता हूँ की इस देश में हिन्दू...अशोक जी आपकी ये बात मानता हूँ की इस देश में हिन्दू में ही बिभिनता हैं और भाषा भी अनेक हैं. पर ये आप नहीं कह सकते की ये अनेक धर्म है? हिन्दू धर्म जो विश्व का सबसे पुरातन धर्म है इतना व्यापक और विशालता लिए हुए हैं की इसे समझने और सभी ग्रन्थ पढने में एक व्यक्ति को कितने जन्म लेने होंगे और उस पर भी वो सायेद ही सारे धर्म ग्रन्थ और इसकी विशालता समझ लें? चुके यही एक धर्म हैं और बाकि सभी पंथ और मजहब, संप्रदाय. हिन्दू धर्म में दूसरा स्वंत्रता है जिसे जो मर्जी माने या न माने उसके हिसाब बाद में होता है . किसी पर जबरन जोर जबरदस्ती नहीं. यही कारन हैं की कुछ लोग यहाँ निराकार तो कोई आर्यन समाज तो कोई तांत्रिक इत्यादि. पर हैं सभी हिन्दू, या आर्यन इस संस्कृति से जुड़े हैं . तीसरी सबसे बड़ी बात है की कोई भी भाषा या कोई भी देवी -देवता को माने कोई भी बिना कसूर किसी को नहीं मार सकता. यही सबसे बड़ी बात है इस सनातन धर्म की सेराज जी/ आपकी ये बात मानता हूँ की इस देश में हिन्दू में ही बिभिनता हैं और भाषा भी अनेक हैं. पर ये कब हुआ पर ये आप नहीं कह सकते की ये अनेक धर्म है? हिन्दू धर्म जो विश्व का सबसे पुरातन धर्म है इतना व्यापक और विशालता लिए हुए हैं की इसे समझने और सभी ग्रन्थ पढने में एक व्यक्ति को कितने जन्म लेने होंगे और उस पर भी वो सायेद ही सारे धर्म ग्रन्थ और इसकी विशालता समझ लें? चुके यही एक धर्म हैं और बाकि सभी पंथ और मजहब, संप्रदाय. हिन्दू धर्म में दूसरा स्वंत्रता है जिसे जो मर्जी माने या न माने उसके हिसाब बाद में होता है . किसी पर जबरन जोर जबरदस्ती नहीं. यही कारन हैं की कुछ लोग यहाँ निराकार तो कोई आर्यन समाज तो कोई तांत्रिक इत्यादि. पर हैं सभी हिन्दू, संस्कृति से जुड़े हैं . तीसरी सबसे बड़ी बात है की कोई भी भाषा या कोई भी देवी -देवता को माने कोई भी बिना कसूर किसी को नहीं मार सकता. यही सबसे बड़ी बात है इस सनातन धर्म की इसकी अच्छाई तो ये है की ये सभी प्राणी और भुत में एक प्रभु को देखता है और उसीकी आराधना करता है जिसे दुसरे लोग मजाक उड़ाते है. रही बात इंग्लॅण्ड और जर्मनी को तो उसकी तुलना इस भारत से नहीं कर सकते. यूरोपेँ और भारत में असमान जमीं का अंतर है. रोम, मिश्त्र और यूनान सभी समाप्त हो गये पर भारत आज भी उसी रास्ते का अनुकरण कर रहा है. कुछ बात अलग है तभी तो? <br /><br />संदीप जैसवाल मिर्जापुरAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5736599664595725887.post-36817045050289045472012-03-16T13:15:07.154+05:302012-03-16T13:15:07.154+05:30हिंदू के बीच इतनी विभिन्नता है की कोई भी नही कह सक...हिंदू के बीच इतनी विभिन्नता है की कोई भी नही कह सकता की यह एक धर्म या संसकिरीट है, जब तक समानता ना हो तो फिर एक संसकिरीट कैसे कही जाएगी. आज भी कुछ राजाइया के लोग राष्ट्रा भासा बोलना पसंद नही करते, फिर भी आप हिंदू संसकिरीट की बात करते हैं. सभ्यता कोई भी हो जब तक इंसाफ़भी हो, जबबतक इंसाफ़ और प्रेम और अच्छाई और समानता पर काएँ रहित है चलती है जब ज़ुल्म होने लगता है चाहे किसी भी नाम पर हो, समाप्त हो जाता जब इंग्लेंड पर जर्मनी बमबारी कर रहा था तो चर्चिल से सबसे पहले यह देखा की इंग्लेंड मे सब को समान रूप से समय पर इंसाफ़ मिलता है की नही, जब यह सुनिसचीत हो गया तो बोला की अब इंगलनेड को कोई समाप्त नही कर सकता<br /><br />अशोक सिंह ( रांची )Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5736599664595725887.post-15378881629769108712012-03-16T13:12:39.763+05:302012-03-16T13:12:39.763+05:30भारत की संस्कृति के आधार हिन्दू और हिन्तुव हैं जो ...भारत की संस्कृति के आधार हिन्दू और हिन्तुव हैं जो आपके मुस्लिम भगवा कह कर विरोध करते हैं. भारत का प्रय्बची शव्द हिन्दू और हिंदुस्तान भी है और आर्य या आर्यन भी कहा जाता है. चुके हिन्दू (भगवा) सभी प्राणी में एक प्रभु को देखते हैं इसलिए यहाँ की संस्कृति सबसे मजबूत हैं अन्यथा इस्लामी जगत में क्या हो रहा है वो बताने की जरुरत नहीं. <br /><br />सुधीर शर्मा कानपूरAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5736599664595725887.post-7815462479952189422012-03-16T13:10:19.873+05:302012-03-16T13:10:19.873+05:30आपकी बात से सहमत हूँ. पर कुछ और जोड़ना चाहता हूँ. ह...आपकी बात से सहमत हूँ. पर कुछ और जोड़ना चाहता हूँ. हमारे पूर्वज कुछ अधिक सहिष्णु और उदार थे जिसके फलस्वरूप इस देश का आज कबाड़ा हो रहा है. जो सनातन धर्म प्रधान देश था उसे आज वोट के लिए उसके ही संस्कृति को ताखा पर रख कर इसे धर्म निरपेछ बाना दिया गया. इस देश में आज भी मेरे ख्याल से कुछ अधिक सहिष्णु और उदार लोग हैं जिन्हें पता ही नहीं की कब इनके उदारता पर कुठार होने बाला है? बाहर से आकर कुछ सम्प्रद्य के लोगो ने इस देश को लुटा ही नहीं बलिक इस देश के संस्क्तिती और धर्म को ही मिटा देने का प्रयास किया और हमारे पूर्वज या तो निर्दयता पूर्वक मारे गये या भाग गये अपने जान प्राण लेकर. कुछ बेचारे को जबरन तलवार के बल पर धर्म परिवर्त करना पड़ा. मंदिर आज भी ये दुखद कहानी अपने जर्जर हाल दिखा कर बता रहे हैं. उदार, दयालु और करुना तो हमारी संस्कृति और धर्म में रचा बसा है और ये जरुरी भी है. पर धर्म की रक्षा होगी तभी संस्कृति बचेगा और आप बचेंगे. ये भी जरुरी है.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/10849410060389111729noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5736599664595725887.post-35269078328898932312012-03-16T13:06:19.041+05:302012-03-16T13:06:19.041+05:30ब्राह्मण,क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र ये ही हमारी संस्...ब्राह्मण,क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र ये ही हमारी संस्कृति के शिल्पकार हैं यदि इन्होने अपने अपने कार्यों को पूरी निष्ठा से करना शुरू कर दे तो समझो सतयुग ने आपके द्वार पर दस्तक दे दी. कहेने का तात्पर्य है किउपनाम के अनुसार आपके कर्म होने चाहिए नकिधर्म की ओर उंगली दिखानी चाहिए....Unknownhttps://www.blogger.com/profile/10849410060389111729noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5736599664595725887.post-9729621394525682672012-03-16T12:40:49.485+05:302012-03-16T12:40:49.485+05:30सारी बाते ठीक है ;लेकिन हमारे इस संस्कृति की चमक क...सारी बाते ठीक है ;लेकिन हमारे इस संस्कृति की चमक को खा जाने वेल उन भ्रष्ट नेताओं का क्या करे जो रक्तबीज की तरह हमारे सारे तंत्रो मे फैलते जा रहे है,,,,,<br /><br />जसपाल सिंह ... लुधियाना सेAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5736599664595725887.post-43558405961482475382012-03-16T12:00:18.485+05:302012-03-16T12:00:18.485+05:30स्वतंत्रता ठीक है पर स्वक्छंद्रता ठीक नहीं है .......स्वतंत्रता ठीक है पर स्वक्छंद्रता ठीक नहीं है ..... ज्ञान जहा से मिले लेना चाहिए पर केवल नक़ल करने की होड़ में नहीं परना चाहिए ...नकलची को कौन अच्छा कहता है <br /><br />फेसबुक का प्रयोग हम सकारात्मक तरीके से कर सकते है, फेसबुक बुरा नहीं है .... कोई भी तकनीक बुरा नहीं होता वो हमपर निर्भर करता है की हम उसका प्रयोग किस रूप में करते हैअजय कुमार दूबेhttps://www.blogger.com/profile/14279076042479885625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5736599664595725887.post-35340568478621631652012-03-16T11:46:02.426+05:302012-03-16T11:46:02.426+05:30@ चन्द्र प्रकाश
भारत में एकता का सूत्र यहां की स...@ चन्द्र प्रकाश <br /><br />भारत में एकता का सूत्र यहां की संस्कृति , धर्म और सांस्कृतिक मनोविज्ञान में इतने ढंग से बसा हुआ है कि सामान्य तौर पर वह नजर ही नहीं आता। <br /><br />इसका मतलब है ..... हम भारतीयों की वेश भूषा भाषा रिवाज तो अलग अलग है पर हम सांस्कृतिक रूप में अत्यंत सूक्ष्म तरीके से जुड़े हुए है ... हमारे सभी धार्मिक कर्मकांड तो साझा है , धार्मिक भाषा अर्थात संस्कृत साझा है, धार्मिक आस्था से हम एक दुसरे के क्षेत्र से जुड़े हुए है . और धार्मिक प्रयोजनों के बहाने हम एक दुसरे के क्षेत्र की यात्रा करते रहते है जो हमारे एकता का सूत्र ही तो है .<br /><br />सकारात्मक तरीके से अगर हम सोचे तो तो 81 % भारतीय तो ऐसे ही है .... जहा तक और धर्मो की बात है तो हम अगर सही रहेंगे तो उन्हें भी हम रचा बसा पाएंगे ....<br /><br />कुछ उग्र लोगो के उत्पात से ..... हमे कमजोर नहीं पड़ना चाहिए , उत्पाती लोग कहा नहीं है और उत्पात , दंगे , फसाद कहा नहीं हुए है . पर बाबजूद हमारे सभी साम्राज्य और सभ्यताए कैसे तबाह और बर्बाद हो गयी.<br /><br />मुस्लमान भाई या इसाई भाई की संस्कृति हमसे अलग है पर ...... हम हिन्दू भारतीय 80 % है एसे में जिम्मेदारी भी हमारी ज्यादा है हम अगर आपने सूक्ष्म सांस्कृतिक जुडाव को मजबूत बनाये रक्खे तो हमारी एकता तो दुनिया के लिए उदाहरण ही बनी रहेगी बाकि २०% के साथ भी हम धर्मनिरपेक्षता के सिधांत से रहना भी मुश्किल नहीं है कियुकी सनातन धर्मं धर्मनिरपेक्षता का प्रतिक है ही ... एक हिन्दू के लिए किसी भी धर्म के भगवान आदर योग्य और पूज्य है .<br /><br />और जहा तक कौशलेन्द्र भाई की टिप्पड़ी की बात है ....<br />तो ये जानलो किसी भी अन्य धर्म के लोग ब्रह्मण को हिन्दू धर्म का अगुआ मानते है ... और ये सच भी है .. ऐसे में ब्रह्मण को कसौटी पे सबसे जयादा कसा जाना चाहिए ..... मांसाहार का सेवन करना और मधपान करना, वेश्यावृत्ति आदि ब्राह्मणों में बढ़ रही है ऐसे में उनकी आलोचना करना अच्छा ही तो है .... यहाँ narrow Mind वाली कोई बात ही नहीं है <br /><br />बल्कि कौशलेन्द्र भाई ने कटाक्ष किया है अपने समुदाय पे ही जो की साहस का काम है .... और जाती पे टिपण्णी करने से तो ये बेहतर है .अगर ब्रह्मण को सम्मान बचाना है तो सुधरना ही होगा <br /><br />निंदा योग्य काम की निंदा होनी ही चाहिए <br /><br />खासकर युवाओ को इसमे महती भूमिका निभानी होगी ...भारत की युवा पीढ़ी को इसकी शक्ति के इस वास्तविक , मूल और नैसर्गिक तत्व को समझना होगा , इसे संरक्षित और विकसित करना होगा। तभी भारत 21 वीं सदी में विश्व का नेतृत्व कर पाएगा।अजय कुमार दूबेhttps://www.blogger.com/profile/14279076042479885625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5736599664595725887.post-77408135554092073852012-03-13T21:34:12.421+05:302012-03-13T21:34:12.421+05:30भारत में एकता का सूत्र यहां की संस्कृति , धर्म और ...भारत में एकता का सूत्र यहां की संस्कृति , धर्म और सांस्कृतिक मनोविज्ञान में इतने ढंग से बसा हुआ है कि सामान्य तौर पर वह नजर ही नहीं आता। <br />1)- jahan tak संस्कृति ki bat hai ajay ji vahan to aap jante hi hai 28 state or 7 u.t. yani aap ko 33 type ki संस्कृति india me dikh jaegi.<br />2)- or jahan धर्म ki baat karte hai vahan to aap 1947 war jante hi hain. after independence (1947)<br />ke baad aap jante hi hai na jaane kitni baar धर्म ke naam par log mar chooke hai.<br />or jahaan tak aap ne धर्म ki baat kahio hai to aap Muslim, Parsi, yahoodi धर्म ko bhool gaye jisme se muslim aaj desh ka 13.40% hain . <br />सांस्कृतिक मनोविज्ञान ki baat karte hai to aap कौशलेन्द्र ji jinhone aap ke block par टिप्पणी ki9 hai dekh sakte hai ek indian ki narrow religious mind jo keval ब्राह्मण कन्यायें ka hi survey kar rahe hain.<br />or ek baat meri bhi jaan lijie western culture kahin na kahin kuch accha hai jo uska प्रभाव दुनिया me hain .c.p.sharmanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5736599664595725887.post-31909017275254549402012-03-13T21:34:09.862+05:302012-03-13T21:34:09.862+05:30भारत में एकता का सूत्र यहां की संस्कृति , धर्म और ...भारत में एकता का सूत्र यहां की संस्कृति , धर्म और सांस्कृतिक मनोविज्ञान में इतने ढंग से बसा हुआ है कि सामान्य तौर पर वह नजर ही नहीं आता। <br />1)- jahan tak संस्कृति ki bat hai ajay ji vahan to aap jante hi hai 28 state or 7 u.t. yani aap ko 33 type ki संस्कृति india me dikh jaegi.<br />2)- or jahan धर्म ki baat karte hai vahan to aap 1947 war jante hi hain. after independence (1947)<br />ke baad aap jante hi hai na jaane kitni baar धर्म ke naam par log mar chooke hai.<br />or jahaan tak aap ne धर्म ki baat kahio hai to aap Muslim, Parsi, yahoodi धर्म ko bhool gaye jisme se muslim aaj desh ka 13.40% hain . <br />सांस्कृतिक मनोविज्ञान ki baat karte hai to aap कौशलेन्द्र ji jinhone aap ke block par टिप्पणी ki9 hai dekh sakte hai ek indian ki narrow religious mind jo keval ब्राह्मण कन्यायें ka hi survey kar rahe hain.<br />or ek baat meri bhi jaan lijie western culture kahin na kahin kuch accha hai jo uska प्रभाव दुनिया me hain .c.p.sharmanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5736599664595725887.post-7951339628703962352012-03-07T12:58:50.116+05:302012-03-07T12:58:50.116+05:30भारत की एकता हंमेशा बनी रहेगीभारत की एकता हंमेशा बनी रहेगीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5736599664595725887.post-25634515129917062512012-03-03T22:59:04.211+05:302012-03-03T22:59:04.211+05:30भारत की इसी विशेषता के कारण विदेशी शक्तियाँ भतभीत ...भारत की इसी विशेषता के कारण विदेशी शक्तियाँ भतभीत थीं और आज भी हैं। विदेशी मैकाले से लेकर आज के स्वदेशी देशद्रोहियों तक सब लोग एकजुट होकर अब भारत की इसी विशेषता को नष्ट करने पर आमादा हैं। भारत को लूटने और उसे पराभूत करने का अब यही एक मात्र रास्ता बचा है। हमारी नयी पीढी भी शीघ्र ही योरोप की भाँति उच्छ्रंखल बनने का स्वप्न देख रही है। आप फेस बुक पर जाकर देखिये ...प्रमाण मिल जायेंगे। हमारी ब्राह्मण कन्यायें तो और भी सौ कदम आगे हैं।बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.com